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Durduriya Mata ki kahani awsani mata ki kahani

 

Dharamyugslma


Dharamyugslma: durduriya mata ki katha ll awsani mata ki kahani ll awsan mata ll दुर्दुरिया माता की कहानी ll Durduriya ki kahani ll दुर्दुरिया माता की कथा ll


एक गांव में एक सास और बहू रहती थी। बहू अपनी सास पर बहुत गुस्सा करती थी क्योंकि सास बूढ़ी होने के कारण कोई काम नहीं कर पाती थी। सास और बहू मंे रोज कलह होती थी। बहू हमेशा सास को ताने देते हुए कहती थी- ‘‘अम्मा आप से कोई काम नहीं होता है, दिनभर घर में बेकार ही बैठी रहती हो।‘‘ बहू के ताने सुनकर लाचार सास कोई जवाब नहीं दे पाती थी।
एक दिन बहू ने कहा- ‘‘अम्मा आप दिनभर खाली नहीं बैठी रह सकती हो आपको घर का कुछ काम तो करना ही पड़ेगा।‘‘ सास ने कहा- ‘‘बहू इस उमर में मैं क्या काम करुंगी और कहां काम के लिए जाउंगी? तुम अगर मुझे रोटी नहीं दोगी तो मेरा क्या होगा।‘‘ इस पर बहू ने कहा- ‘‘अम्मा आप रोज सुबह पूरे गांव में दूध बेच आया करो। एक महिना पूरा होने पर मैं आपसे हिसाब लूंगी।‘‘
बेचारी सास दुखी मन से मजबूरीवश गांव में दूध बेचने के लिए तैयार हो गयी। सुबह हुई तो बहू ने दूध का डिब्बा भरकर सास को थमा दिया और कहा कि जल्दी दूध बेचकर घर आ जाना। सास घर से निकली और एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गयी। सोचने लगी इस बुढ़ापे में मुझे भी क्या-क्या दुख झेलना पड़ रहा है। अब कैसे में गली-गली जाकर दूध बेचूं। इतना सोचते-सोचते दो-तीन घंटे बीत गये। इसके बाद सास ने मन में विचार करते हुए दूध को उसी पेड़ के नीचे डालने का निर्णय लिया। सारा दूध वहीं उड़ेल कर सास घर लौट गयी। बहू ने सोचा सास सारा दूध बेचकर आ गयी है रुपए भी लिए होंगे तो कोई बात नहीं महिने के आखिरी में हिसाब ले लूंगी। इस तरह दूध ले जाते हुए सास को एक महिना बीत गया। अब वह दिन भी आ गया जब उसे हिसाब देना था। वह दूध लेकर गयी और पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी और कहने लगी- ‘‘अब मैं क्या करूं, आज बहू को दूध का हिसाब कैसे दूंगी। दूध तो मैने बेचा ही नहीं तो रुपया कहां से लाउंगी।‘‘
वहां से गुजर रही अवसान मैया ने बुढ़िया के रोने की आवाज सुनी। मैया बुढ़िया के पास पहुंची और रोने का कारण पूछा। बुढ़िया ने मैया से कहा – ‘‘मेरी बहू मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती है। मुझे कहती है कि घर में कुछ काम किया करो और रोज मुझे पूरे गांव के लिए दूध बेचने को दे देती है। मुझसे ठीक से चला भी नहीं जाता, घुटने दर्द करते हैं। इसलिए मैं रोज दूध इस पीपल के पेड़ के नीचे डाल देती थी और बहू से कह देती थी कि सारा दूध बेच दिया। आज मुझे बहू को महिने भर के दूध का हिसाब देना है। मैंने हिसाब नहीं दिया तो वह मुझे घर से निकाल देगी।‘‘ औसान माता को बुढ़िया पर दया आ गयी। माता ने बुढ़िया से कहा कि आज पीपल के जितने भी सूखे पत्ते गिरे हुए हैं उन्हें अपने आंचल में भर लो। घर जाकर इन पत्तों को अपनी बहू के आंचल में डाल देना। इस पर बुढ़िया ने आष्चर्य से औसान माता से पूछा – ‘‘अरे क्या इससे मेरा दुख दूर हो जाएगा ?‘‘ माता ने कहा- ‘‘हां,जरूर हो जाएगा और जब दुख दूर हो जाए तो औसान माता की पूजा करना मत भूलना।‘‘ बुढ़िया ने औसान मैया की बाते सुनकर आंचल में पीपल के सूखे पत्ते समेटकर अपने घर लौट गयी। सास जैसे ही भरे आंचल के साथ घर पहुंची बहू अत्याधिक खुष हो गयी। बहू ने पूछा-“क्या बात है अम्मा“ आज तो आप पूरा हिसाब लेकर आयी हो। बहुत सारा पैसा रुपया मिला है आपको। सास बोली- “हां बेटा ऐसा ही समझो, तुम अपना आंचल फैलाओ मैं उसमें सब डाल देती हूं।“ बहू ने अपना आंचल फैला दिया लेकिन यह क्या उसका आंचल तो रुपयों और जेवरों से भरा हुआ था। बुढ़िया को भी समझ आ गया कि यह सब औसान मैया की कृपा है।
बहू सास से जोर देकर पूछने लगी कि उसे इतना धन कैसे मिला ? सास सीधी सरल महिला थी उसने बहू को सारी कहानी सुना दी। लालची बहू ने सास से कहा कि मैं भी वैसा ही करुंगी जैसा आपने किया है। हो सकता है औसान मैया मुझे भी इसी तरह बहुत सारा धन दे दे। बहू भी अब रोज दूध लेकर जाती और पीपल के पेड़ के नीचे चढ़ा कर आती। महिने के आखरी दिन बहू पेड़ के नीचे दूध चढ़ा कर रोने लगी। उसके रोने की आवाज सुनकर औसान माता प्रकट हुयी और बहू से पूछने लगी- “क्या हुआ तुम क्यों रो रही हो?“ बहू ने कहा-“मेरी सास मुझे बहुत परेषान करती है। कहती है,दूध बेचकर रुपए लेकर आओ,तभी तुम्हें इस घर में रहने को मिलेगा। मैं तो रोज दूध यहां चढ़ा देती थी। आज मुझे सास को महिने का हिसाब देना है। इतने रुपए मैं कहां से लाऊं?“ औसान मैया ने बहु से कहा कि वह पीपल के सूखे पत्ते अपने आंचल में समेट कर ले जाए और आंगन में डाल दे।
बहू ने खुषी-खुषी ढेर सारे सूखे पत्ते अपने आंचल में भर लिए। लेकिन यह क्या, जैसे ही बहू ने सूखे पत्ते आंगन में डाले वे सब सांप-बिच्छू में बदल गए और उसे काटने दौड़ पड़े। घबराकर वह औसान माता के पास गयी तो मैया ने कहा कि तूने अपनी बूढ़ी सास के साथ बहुत गलत व्यवहार किया है। उसे तूने दो रोटी के लिए भी तरसा दिया था इसलिए तेरे साथ यह घटना हुई है। बहू औसान माता के चरणों में गिर कर माफी मांगने लगी। मां को भी दया आ गयी और उन्होंने बहू को क्षमा कर दिया। माता ने बहू से कहा कि अपनी सास को मां समान मानकर उनकी खूब सेवा करो। घर में आपस में मिलकर रहो। गुरुवार को औसान माता की पूजा, आरती करो। मैया की कथा सुनो, इससे तुम्हारे घर में धन-दौलत और सुख की कोई कमी नहीं रहेगी। बहू ने घर जाकर सास से माफी मांगी। इसके बाद दोनों खुषी-खुषी घर में रहने लगे। गुरुवार को उन्होंने पूरे विधिविधान से माता का आह्वान कर उनकी पूजन की।
जिस प्रकार औसान माता आपने बूढ़ी सास को सहारा दिया और घर में सुख,षांति,समृध्दि दी वैसे ही हम सब पर अपनी कृपा बनाए रखना।
औसान मैया की जय

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Durduriya Mata ka Geet

बैठी सात सुहागिन आज मईया दईदा आशीर्वाद 


पहिला आशीर्वाद हे माई, कन्या के दई दिहलू हो-2

हमरो भरा रहे सिर मांग मैया दईदा आशीर्वाद-2

बैठी सात सुहागन....…....…...


दूसरा आशीर्वाद हे मैया ,निर्धन के दई दिहलू हो -2

हमरो भरा रहे भंडार मैया दईदा आशीर्वाद -2

बैठी सात सुहागिन ….............


तीसरा आशीर्वाद हे मैया ,बाझिन के दई दिहलू हो-2

हमरो अमर रहे गोदी के लाल मैया दईदा आशीर्वाद -2

सात सुहागन करें तोहार गुणगान मैया दईदा आशीर्वाद -2

बैठी सात सुहागिन ..…..…............


इस गाने के तर्ज को सुनने के लिए नीचे दिए गए  

वीडियो को देखे:

 



Jai avsani maiya ki 🙏🌹❤️




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